प्रदीप मांढरे वरिष्ठ पत्रकार ग्वालियर
ग्वालियर – जागरण अखबार समूह के सर्वे में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को क्लीन चिट दी गई है। आज मंगलवार 22 अप्रैल के अंक में अखबार लिखता है कि 62 प्रतिशत लोग मानते हैं कि निशिकांत दुबे ने सीजेआई संंबंधी अपने बयान से न्यायपालिका की अवमानना नहीं की है। 36 प्रतिशत व्यक्ति कहते हैं कि अवमानना की है और २ प्रतिशत जनमानस की राय है-कह नहीं सकते।
यहां बता दें कि शनिवार को झारखण्ड के गोैड्डा से चार बार के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एएनआई को वीडियो बयान दिया था कि ”देश में धार्मिक युध्द भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है , इसे बंद कर देना चाहिए। इस देश में जितने गृह युध्द हो रहे हैं, उसके जिम्मेदार केवल चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया संजीव खन्ना हैं। ÓÓ
जाहिर है यह बयान बहुत ही आपत्तिजनक है, न्यायपालिका की अवमानना करने वाला है ; इसलिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे निशिकांत की निजी राय बताया और कहा कि भाजपा हमेशा अदालत का सम्मान करती है।
अब यहां सवाल खड़ा होता है कि भाजपा जब न्यायपालिका का सम्मान करती है तो उसके सांसद दुबे जो न्यायपालिका का सरेआम अनादर कर रहे हैं तो भाजपा नेतृत्व ने उनके खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की? भाजपा सरकार के दो प्रमुख स्तंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस सबसे बड़े ज्वलंत विषय पर अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है ; तो आमजन में से कुछ को तो ऐसा लग ही रहा होगा कि हो सकता है कि चीफ जस्टिस के खिलाफ निशिकांत के जहरीले वक्तव्य में नेतृत्व की भी सहमति रही होगी।
जिस बड़े अखबार ने अपने जनमत सर्वे में निशिकांत के आपत्तिजनक कृत्य को अपराध नहीं माना, आश्चर्य है कि उसने एक दिन पहले यानी 21 अप्रैल को सम्पादकीय लिखी थी कि निशिकांत का बयान अमर्यादित , अनावश्यक और आपत्तिजनक है। जागरण की सम्पादकीय में यह भी लिखा था कि भले ही नड्डा ने निशिकांत के कथन से किनारा कर लिया हो लेकिन इससे नुकसान की भरपाई नहीं होने वाली। अखबार ने लिखा था कि आलोचना की भी एक मर्यादा होती हेै।
वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर.वैंकटरमणी को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है।
जागरण गु्रप की सम्पादकीय नीति के बारे में सभी जानते हैं। मान लीजिए अखबार का सर्वे सच के करीब है, तथ्यों पर आधारित है तो क्या देश का बहुमत सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ है?, इसके मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को कथित रूप से देश में चल रहे गृह युध्द के लिए दोषी मान रहा है?
इस तरह की अभिव्यक्ति की आजादी देश को अराजकता की ओर ही ले जाएगी, देश , समाज , लोग , संस्थाएं सभी व्यवस्थाएं संविधान-कानून से चलती हैं।
निशिकांत के पक्ष में इस तरह का माहौल पैदा किए जाने का अनुचित प्रयास किया जा रहा है कि उन्होंने देश हित में बहुत क्रांतिकारी कदम उठाया है।
आश्चर्य है ,एक ओर तो भाजपा डॉ.अम्बेडकर और संविधान के तहत चलने का बार-बार दावा करती रही है, दूसरी तरफ उसके जिम्मेदार लोग सर्वोच्च संवेैधानिक संस्थानों का अनादर करते हैं, उन्हें धमकी देेते हैं।
वेैसे , तो कानून के तहत अभी तक निशिकांत दुबे के खिलाफ न्यायालय की अवमानना के तहत कार्रवाई हो जानी चाहिए , नहीं हो रही है, इससे भी न्यायपालिका का ओहदा कम और कार्यपालिका का सीना चौड़ा होता दिख रहा है।
यदि निशिकांत दुबे पर कानूनन कार्रवाई की गई तो जनमानस में संदेश जाएगा कि भारतीय संविधान हर परिस्थिति में प्रासंगिक है और जनतांत्रिक है।