Republic Breaking

दतिया नई दिल्ली

पत्नि के शारीरिक संबंध बनाने से मना करने पर अगली सुबह मैरिटल रैप सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा सवाल

नई दिल्ली/,दतिया @Republicbreakingindianews.com/ Ramji S. Rai >>>>>>>>>>>>> सर्वोच्च न्यायालय में मैरिटल रेप के मामले में भारतीय न्याय संहिता के उन दंडनीय प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर फैसला करेगी जो बलात्कार के लिए पति को मुकदमे से बचाता है।

अगर पत्नी की सहमति नहीं तो तब भी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को क्यों ना रेप की श्रेणी में रखा जाए। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने में पति को सिर्फ इसलिए छूट मिल रही, क्योंकि पीड़ित उसकी पत्नी है। कोर्ट में दलील दी गई कि यह जनता बनाम पितृसत्ता की लड़ाई है।

 

केंद्र सरकार ने दी ये दलील

केंद्र सरकार ने दलील दी कि अगर ऐसे मामलों के अपराध की कैटेगरी में लाया गया तो इससे वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा और विवाह की संस्था भी प्रभावित होगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर अपवाद के तहत शादी के बाद पति को शारीरक संबंध बनाने के लिए मिलने वाली छूट को खत्म कर दिया जाता है तो क्या एक नए तरह के अपराध का निर्माण करना होगा? कोर्ट ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने की छूट देने वाले प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को लेकर विचार किया जाएगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? पति को संबंध बनाने के लिए इंतजार करना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि “मान लीजिए कोई पति अपनी पत्नी पर हमला करने या अभद्र व्यवहार करने की हद तक चला जाता है, तो कानून के अनुसार उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। लेकिन यदि जबरदस्ती संबंध बनाने की बात हो और पत्नी मना कर दे और अगले दिन FIR दर्ज करवा दे, तो क्या होगा? इस मामले में वकील नंदी ने कहा कि “किसी भी महिला को ना कहने का अधिकार उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसका हां कहना।” इस पर जस्टिस पारदीवाला ने फिर पूछा, “तो क्या पति को पत्नी के इनकार को मान लेना चाहिए या तलाक दाखिल कर देना चाहिए? एडवोकेट नंदी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि “पति को अगले दिन तक इंतजार करना चाहिए और अधिक हैंडसम बनकर आना चाहिए।”

बीएनएस की धारा 67 पर भी हुई चर्चा

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस की धारा 67 को लेकर भी चर्चा की गई। इसमें पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने को अपराध मानता है जो अलग रह रही है। इस पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा धारा 67 देखें तो उसमें कहा गया है कि अलग रहने के दौरान पत्नी के साथ यौन संबंध अलग होने के आदेश के तहत या अन्यथा…तो यह अपराध है। तो इस “अन्यथा” का क्या अर्थ है? अगर मान लीजिए कोई पत्नी माता-पिता के घर जाती है वहां उनके बीच संबंध बनते हैं तो उन्हें किस श्रेणी में रखा जाएगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “यहां अलग रहने का मतलब सिर्फ अलग-अलग जगहों पर रहना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे के साथ सहवास न करने के इरादे से रहना है।”

editor

Editor Republic Breaking Network

Related posts

मिशन शक्ति के तहत जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न

editor

दतिया की लाडली निकेता बहिन ने शिवजी को बनाया जीवनसाथी

editor

प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक तालाब और एक नहर का जीर्णोद्वार किया जाए- कलेक्टर

editor

Leave a Comment