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अम्बाह मुरैना

तीर्थंकर का जन्म अंतिम जन्म होता है-जिनेश जैन देखें भव्य जन्माभिषेक जुलूस की झलकियां

भीमसैन सिंह तोमर 

पांडुक शिला पर 1008 कलशों से अभिषेक !

मुरेना। जन्म तो सभी का होता है, किंतु हमारा जन्म जन्म कल्याणक नहीं होता । क्योंकि हमारा जन्म मरण से लगा हुआ है । जन्म मरण का चक्र प्रत्येक प्राणी के साथ जुड़ा है । तीर्थंकर का जन्म अंतिम जन्म होता है । इस जन्म से उनका मरण नहीं, किंतु निर्वाण होगा । निर्वाण के वाद पुनः जन्म नहीं होता । इसीलिए तीर्थंकरों का जन्मकल्याणक मनाया जाता है । उक्त विचार अंबाह नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष श्री जिनेश जैन ने ज्ञानतीर्थ पर तीर्थंकर बालक आदिकुमार के जन्मोत्सव पर व्यक्त किये ।

श्री ज्ञानतीर्थ जैन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान आज जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया । पांडुक शिला पर अम्बाह नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष श्री जिनेश जैन प्रथम कलश से तीर्थंकर बालक अदिकुमार का जलाभिषेक किया ।

श्री मज्जिनेन्द्र जिनविम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के आज तीसरे दिन प्रातःकालीन शुभ बेला में तीर्थंकर बालक अदिकुमार का जन्म हुआ । जैसे ही बालक के जन्म का समाचार अयोध्या नगरवासियों को प्राप्त हुआ सभी खुशी से झूम उठे ।

मंचासीन पट्टाचार्य श्री विनीत सागर जी महाराज, सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर ज़ी महाराज, गणिनी आर्यिका लक्ष्मीभूषण, गणिनी आर्यिका सृष्टीभूषण, गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण, गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी, आर्यिका अंतसमति माताजी, अक्षतमती माताजी, क्षुल्लक योगभूषण जी महाराज सहित सभी साधु-संतों श्री पंचकल्याणक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी को आशीर्वाद प्रदान किया ।

महोत्सव की मुख्य निर्देशिका गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने तीर्थंकर के जन्म और निर्वाण के संदर्भ में सभी को अवगत कराया । आपने कहा कि पंचकल्याणक महोत्सव में पुण्यशाली जीव सम्मिलित होते हैं । हम सभी को ऐसे आयोजनों की तन मन धन से अनुमोदना करना चाहिए । अन्य लोगो के साथ अनीता दीदी ने कार्यक्रम संचालन में सहयोग प्रदान किया । सराग क्षेत्र से आये हुए गुरुभक्तों ने हाथों में पंचरंगी ध्वजा लेकर चल रहे थे । वे अपनी स्थानीय मात्र भाषा में भजन गायन भी करते हुए नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे ।

तीर्थकर के जन्म के पश्चात सौधर्म इंद्र और शचि इंद्राणी बालक को ऐरावत हाथी पर लेकर पांडुक शिला पर पहुचें । वहा पर सभी साधर्मी बन्धुओं ने कलशों से जलाभिषेक किया । जन्माभिषेक चल समारोह में एक ऐरावत हाथी, तीन हाथी रथ ग्वालियर, आगरा, धोलपुर, मुरेना के 5 बैंड, डी जे, ढोल, 5 घोड़ा बग्घी, आदि जुलूस में संगीत की मधुर धुन विखेर रहे थे । महिलाएं केशरिया परिधान में भक्ति नृत्य एवं बालिकाएं अपने विशेष परिधान में डांडिया नृत्य कर चल रहीं थीं । पुरुष एवं युवा वर्ग भगवान की जय जयकार करते हुए चल रहे थे । जन्माभिषेक के दो किलोमीटर लम्वा जुलूस घरोना हनुमान मंदिर एबी रोड पर भृमण करता हुआ आयोजन स्थल अयोध्या नगरी पहुचा । जन्माभिषेक की समस्त धार्मिक क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य श्री जयकुमार जी निशांत, नितिन भैयाजी, मनीष भैयाजी द्वारा सम्पन्न कराई गई । पांडुक शिला पर 1008 कलशों से इन्द्रों द्वारा बालक अदिकुमार का अभिषेक किया गया । श्री जिनेश जैन अम्बाह ने जैसे ही प्रथम कलश की धारा तीर्थंकर बालक पर प्रवाहित की चारों और हर्ष की लहर दौड़ गई । जय जयकारों से सम्पूर्ण ज्ञानतीर्थ गुंजायमान होने लगा । सभी भक्तों ने हर्ष ध्वनि से तालियां बजाकर खुशी व्यक्त की । जन्माभिषेक पांडुक शिला का उद्घाटन विजयकुमार, श्रीमती स्वाति जैन, आँचल जैन, ऋषभ जैन (गौरव होजरी) दिल्ली ने किया । द्वितीय कलशाभिषेक करने का सौभाग्य पवन जैन ऋषभ जैन मुरेना को प्राप्त हुआ ।

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