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मध्य प्रदेश में अब मतांतरण करने से 60 दिन पहले कलेक्टर को देनी होगी सूचना

लक्ष्मण सिंह तोमर 

भोपाल। मध्य प्रदेश में मतांतरण करने वाले व्यक्ति को अब 60 दिन पहले संबंधित जिले के कलेक्टर को इसकी सूचना देनी होगी। यदि कोई धर्माचार्य मतांतरण कार्यक्रम करना चाहता है तो उसे भी इसकी सूचना 60 दिन पहले कलेक्टर को देनी होगी। सूचना मिलने पर कलेक्टर पावती भी देंगे। साथ ही कलेक्टर को प्रतिमाह दस तारीख को उन्हें प्राप्त होने वाली मतांतरण की सूचनाओं एवं उसमें दी गई स्वीकृति की जानकारी राज्य सरकार को भेजनी होगी।

15 दिसंबर से प्रदेश में प्रभावशील

शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता नियम 2022 जारी कर उन्हें 15 दिसंबर से प्रदेश में प्रभावशील कर दिया है। मतांतरण के लगातार सामने आ रहे प्रकरणों को देखते हुए सरकार ने बीते वर्ष मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 बनाया था। इसके क्रियान्वयन के लिए अब नियम जारी किए गए हैं।

 

60 दिन पहले कलेक्टर को आवेदन देना होगा

इसके अनुसार मतांतरण करने और करवाने वाले को 60 दिन पहले कलेक्टर को आवेदन देना होगा। इसमें आवेदक को यह बताना होगा कि वह स्वयं की इच्छा से बिना किसी बल, प्रपीड़न, असम्यक असर या प्रलोभन के बल पर मत परिवर्तन करना चाहता है। अनुसूचित जाति-जनजाति का व्यक्ति मत परिवर्तन करना चाहता है तो उसे अपनी जाति का विवरण भी देना होगा। साथ ही वह स्थान और तारीख भी बतानी होगी, जहां मत परिवर्तन का कार्यक्रम होना है। इसी तरह धर्र्माचार्य को मत परिवर्तन करने वालों की संख्या, उनके माता-पिता के नाम, पता, आयु, लिंग, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग का व्यक्ति होने की स्थिति में उसकी जाति सहित अन्य जानकारी आवेदन में देनी होगी।

प्रलोभन या बलपूर्वक मतांतरण कराने पर सजा भी होगी

सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता कानून में प्रविधान किया है कि प्रलोभन, धमकी देकर या बलपूर्वक मतांतरण या विवाह कराया जाता है तो वह शून्य समझा जाएगा। लिखित में शिकायत होने पर ही पुलिस द्वारा जांच की जाएगी। प्रविधान का उल्लंघन करने पर कम से कम एक और अधिकतम पांच वर्ष का कारावास हो सकेगा। साथ ही न्यूनतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा। स्त्री, अनुसूचित जाति या जनजाति के किसी व्यक्ति के संबंध में उल्लंघन होने पर कम से कम दो वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष का कारावास हो सकेगा। अर्थदंड भी पचास हजार रुपये से कम का नहीं होगा।

लव जिहाद के मामले में दस साल तक सजा का प्रविधान

सरकार ने धर्म छुपाकर विवाह करने के मामलों में सख्त प्रविधान किया है। ऐसे प्रकरणों में तीन वर्ष से कम की सजा नहीं होगी अधिकतम दस वर्ष के कारावास का प्रविधान किया गया है अर्थदंड भी पचास हजार रुपये से कम नहीं होगा सामूहिक मतांतरण में नियमों के उल्लंघन पर न्यूनतम कारावास पांच वर्ष से कम नहीं होगा। यह दस वर्ष तक हो सकता है। अर्थदंड एक लाख रुपयेे से कम नहीं होगा। विवाह शून्य करने के लिए परिवार न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की जाएगी।

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